ICMR ने रामदेव बाबा (Patanjali) की कोरोना दवाई पर लगाई रोक और मांगी रिपोर्ट, आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण सुचना
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रामदेव बाबा, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि(Patanjali) कई दिनों से कोरोना की दवाई और व्याकसीन मिलने को लेकर टीवी चैनल्स पर मार्केटिंग कर रहे है. बिना किसी रिपोर्ट के और बिना किसी सरकारी संस्थान के अनुमति के कोई भी कोरोना के नाम पर दवाई नहीं बेच सकता. बस इसी को देखते हुए ICMR (Indian Council of Medical) यानि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद ने ये कारवाई की है.
जो पहले ही होनी चाहिए थी जब रामदेव बाबा कोरोना व्यक्सिन का दावा टीवी पर कर रहे थे. और आपको भी ऐसे किसीभी दवाई पर भरोसा नहीं रखना चाहिए. क्योकि कई दवाईयों की कंपनिया लोगो के डर से पैसा कमाना चाहती है. ऐसी बीमारियों के लिये इतने कम समय में दवाई बनाना और बिना किसी साइड इफ्फेक्ट के अध्ययन के बिना उसे मरीजो को देना औरभी खतरनाक हो सकता है. और ये भी हो सकता है की उस दवाई से मरीज को तुरंत तो आराम मिले लेकिन कुछ दिनों बाद उसे कुछ और बीमारी यानि साइड इफ़ेक्ट हो.
और एक्सपर्ट्स की माने तो इतनी जल्दी-जल्दी किसी भी दवाई को व्याकसीन घोषित नहीं किया जा सकता. क्योकि जब किसीभी बीमारी पर दवाई बनाई जाती है तो वो इन्सान के शरिर पर क्या असर करती है ये जानने के लिए कम-कम से 6 महीनो का समय लगता है. लेकिन रामदेव बाबा के पतंजलि ने सिर्फ 1 महीने के अन्दर ही दवाई बनाकर टेस्टिंग करके उसे कोरोना के नाम पर मार्किट में उतारने के लिए तयार भी किया ये किसी भी नजर से विश्वास लायक दवाई नहीं लग रही. क्योकि दवाइयों के साइड इफेक्ट्स भी होते है. और उन्ही साइड इफेक्ट्स को देखने के लिए साइंटिस्ट को कम-कम 6 महीनो का समय लगता है. और बिना साइड इफेक्ट्स जाने कोईभी किसीभी दवाई को व्याकसीन का नाम देकर बेच नहीं सकता क्योकि वो सिर्फ एक धोका होगा और हजारो लाखो लोगो की जान से खिलवाड़ होगा. और आप भी ऐसी किसीभी दवाई पर भरोसा ना रखे.
और एक बात से शक और बढ़ता है अगर बाबा रामदेव के पतंजलि के दवाई कामयाब होती तो पूरी दुनिया से पतंजलि को कोरोना की इस दवाई के आर्डर भी मिलते लेकिन काहीसे भी ऑर्डर्स नहीं मिले और नहीं किसी और देश ने इसमें दिलचस्पी दिखाई. तो ये भी चीजे इस दवाई की विश्वसनीयता पर सोचने के लिए मजबूर करती है.
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